अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र का उदघाटन

 
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली द्वारा संचालित छत्तीसगढ़ में एकमात्र अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र का उद्घाटन कार्यक्रम शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में माननीय कुलपति डॉ. एन.पी. दीक्षित, प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र कुमार राजपूत, प्राध्यापक डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव एवं संस्कृत प्रवक्ता लोकेश कुमार जैन के आतिथ्य एवं सानिध्य में किया गया। माननीय कुलपति एन.पी. दीक्षित जी ने संबोधन में कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में संस्कृत भाषा की महती आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति में संस्कृत का महत्वपूर्ण योगदान है। संस्कृत भाषा पूर्ण रूप से वैज्ञानिक भाषा है, जिसका विदेशों में भी शोध एवं अनुसंधान हो रहा है। संस्था के प्राचार्य श्री सुरेन्द्र कुमार राजपूत ने बताया कि अनौपचारिक शिक्षण केन्द्र में 1. सटिर्फिकेट इन संस्कृत 2. डिप्लोमा इन संस्कृत, दोनों प्रकार के एक वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित है। साथ ही अधिक से अधिक छात्र-छात्राओं को संस्कृत भाषा को सीखने के लिए आव्हान किया और बताया कि संस्कृत सम्भाषण से जीव्हा की मांसपेशियों का यौगिक व्यायाम हो जाता है। प्रशिक्षित लोकेश जैन ने बताया कि केन्द्र ने सभी वर्ग कला, वाणिज्य एवं विज्ञान के छात्र-छात्राएें तथा गृहणियां शिक्षक, शिक्षिकाएें , संस्कृत प्रेमी एवं संस्कृत जिज्ञासु प्रवेश ले सकते है, जिसका लक्ष्य संस्कृत को जनभाषा बनाना है। संस्कृत मृतभाषा नही अपितु मृतों के लिए संजीवनी के रूप में होती है। साथ ही प्रशिक्षक लोकेश जैन के द्वारा सभी का धन्यवाद एवं आभार ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक , छात्र-छात्राएं एवं अतिथिगण उपस्थित थे।