सांस्कृतिक विविधता को बचाये रखने मातृभाषा आवष्यक है - डॉ. सुराना

 
सांस्कृतिक विविधता को बचाये रखने मातृभाषा आवष्यक है - डॉ. सुराना
शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के हिंदी विभाग द्वारा 21 फरवरी को विश्व मातृभाषा दिवस के अवसर पर मातृभाषा पर वैचारिक आयोजन किया गया।  इस वैचारिक आयोजन में हिंदी विभाग के अलावा अन्य विभाग के प्राध्यापकों के साथ स्नातकोत्तर हिंदी के विद्यार्थियों की सहभागिता रही। कार्यक्रम के प्रारंभ में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ अभिनेष सुराना ने अपने आधार वक्तव्य में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का उद्देश्य संसार में उपलब्ध बोली, भाषाओं और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना है। अर्थशास्त्र की प्राध्यापिका डॉ पद्मावती ने अपनी मातृभाषा तेलुगु के भाषा वैशिष्ट्î पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तेलुगु भाषा में संस्कृत शब्दों की बहुलता है। उन्होंने उदाहरण स्वरूप तेलुगु भाषा की राम-कथा का सस्वर पाठ किया तथा उसकी व्याख्या की। संस्कृत के प्राध्यापक जनेंद्र दीवान ने संस्कृत साहित्य के कवि भर्तृहरि द्वारा वर्णित वैराग्य शतक के श्लोक का पाठ करते हुए कहा कि मात्र वैरागी ही भय मुक्त होता है बैरागी के अलावा सभी भय-ग्रस्त होते हैं। 
        हिंदी की प्राध्यापिका डॉ. कृष्णा चटर्जी ने रविंद्र नाथ टैगोर की बांग्ला कविता का पाठ करते हुए कविता में निहित भाव की हिंदी व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि कवि अपनी श्रद्धा-निष्ठा ईश्वर को समर्पित करते हुए प्रार्थना करते हैं कि उनका जीवन अहंकार से मुक्त रहे। वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ बलजीत कौर ने सूफी कवि वारिश शाह के विरह आधारित अमृता प्रीतम की कविता का पाठ किया जिसमें अमृता प्रीतम ने वारिश शाह को आह्वान किया कि वे अपनी कब्र से उठकर विभाजन की त्रासदी से पीड़ित उन हजारों बेटियों के लिए भी गीत लिखें। डॉ. सरिता मिश्रा ने बाबा नागार्जुन की मैथिली कविता का पाठ किया जिसमें बाबा नागार्जुन रोजी रोटी के लिए गांव छोड़ते हुए मजदूर के दुख को व्यक्त किया है, जिसमें मजदूर गांव छोड़ते हुए धरती माता से क्षमा मांगते है, उन्हें प्रणाम करते हैं।  प्रोफेसर थानसिंह वर्मा ने मातृभाषा एवं संस्कृति के महत्व को स्पष्ट किया। डॉ. किरण मिश्रा, डॉ. ओमपुरी देवांगन एवं डॉ. रजनीश ने भी छत्तीसगढ़ी भाषा की कविताओं का पाठ करते हुए छत्तीसगढ़ी कविताओं में निहित सौंदर्य, प्रेम और संघर्ष की व्याख्या की। 
  स्नातकोत्तर के विद्यार्थी सारिक अहमद, विशु कुमार तथा नितिन वर्मा ने भी कविता का पाठ किया कार्यक्रम का समापन विद्यार्थियों द्वारा छत्तीसगढ़ी के राजगीत के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर ओमकुमारी देवांगन तथा आभार प्रदर्शन डॉ रजनीश उमरे ने किया।