इतिहास विभाग द्वारा संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग छ.ग. शासन के सौजन्य से दस दिवसीय पुरातत्व मुर्तिकला प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन आज दिनांक 17.03.202

 

इतिहास विभाग द्वारा संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग छ.ग. शासन के सौजन्य से दस दिवसीय पुरातत्व मुर्तिकला प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन आज दिनांक 17.03.2023 दिन शुक्रवार को आयोजित किया गया। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक एवं प्राचार्य डॉ. सुशील कुमार तिवारी जी ने कार्यशाला के अयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह कार्यशाला बहुउद्देशीय है और उन्हे आशा है कि विद्यार्थी इस रोजगार मूलक कला के जरिए अपने स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करेंगे उन्होने इतिहास विभाग के प्रयास को सराहनीय बताया इसके पूर्व इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय ने कार्यशाला के उद्देश्य में प्रकाश डालते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों को पुरातत्वीय प्रतिमाओं के प्रतिकृति निर्माण एवं संरक्षण कि तकनिकी का ज्ञान होगा । साथ ही छ.ग. के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त से प्राप्त मूर्तियों के इतिहास से भी उनका परिचय होगा तथा इसके माध्यम से वे रोजगार की ओर भी प्रवृत्त होंगे। छ.ग. पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग की ओर से प्रशिक्षक एवं कलाकार श्री रामशरण प्रजापति जी एवं राजेन्द्र सुनगारिया उपस्थित थे। अपने सम्बोधन मे श्री रामशरण प्रजापति जी ने कहा कि पुरातत्व दृष्टि से हमें अपने प्राचीन संरचना की जानकारी मिलती हैं एवं मूर्तिकला प्रशिक्षण द्वारा भविष्य में रोजगार का माध्यम भी बनता हैं। ये कार्यशाला छ. ग. शासन संचालनालय पुरातत्व एवं अभिलेखागार के द्वारा चलाए जा रहे हैं। महाविद्यालय के IQAC विभाग की समन्वय एवं भौतिक शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जगजीत कौर सलुजा ने कहा कि इतिहास विभाग द्वारा भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के संवर्धन एवं विद्यार्थियों में रोजगार मूलक प्रवृत्तियों के विस्तार के लिए जो प्रयास किया जा रहा है वे नई शिक्षा नीति के अनुरूप है निश्चय ही इससे विद्यार्थियों की प्रतिभा का विस्तार होगा। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर. एन. सिंह जी ने इतिहास विभाग के प्रयत्नों की सराहना करते हुए कहा कि अपने इतिहास विषय के दायित्व का पूर्ण निर्वाह करते हुए इतिहास विभाग द्वारा छ.ग. की सांस्कृतिक परंपराओं एवं कलाओं के संरक्षण के लिए जो प्रयत्न किये जा रहे है वे अत्यंत आवश्यक हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ज्योति धारकर द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कल्पना अग्रवाल ने किया । इस कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहें ।