शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग (छ.ग.) में हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग (रूसा 2.0 के अंतर्गत) एवं बैंक ऑफ बड़ौदा के संयुक्त तत्वाधान में कवि सम्मेलन तथा अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अनंत माधव सहायक महाप्रबंधक , बैंक ऑफ बड़ौदा क्षेत्रीय कार्यालय दुर्ग । विशिष्ट अतिथि प्रख्यात कवि श्री रवि श्रीवास्तव, डॉ. चंद्रशेखर शर्मा , श्री भरत द्विवेदी एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अजय कुमार सिंह,प्राचार्य , शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग ने किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ.अजय कुमार सिंह ने कहा कि हिन्दी के आंचल में जो भी पढ़ा,बढ़ा और जिया है आदर्श, सभ्यता और संस्कार के बीज उसी ने बोया है।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अनंत माधव ने कहा कि राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी सभी को जोड़ती है तो राजभाषा के रूप में वह कार्य प्रणाली का हिस्सा बनती है। इसी कड़ी में उन्होंने अपनी कविता भी प्रस्तुत की- “तुम हमें ना चाहो,खूब नफरतें करो पर दिल में दबा कर प्यार को जाया ना करो।” वरिष्ठ कवि श्री रवि श्रीवास्तव ने कहा कि कविता केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति ही नहीं बल्कि जीवन की गहन सच्चाइयों और सामाजिक परिस्थितियों का सजीव चित्रण भी है! उनकी कुछ पंक्तियां - “बच्चों अब दूध नहीं थोड़ा-थोड़ा जहर पियो,बड़ा होकर तुम्हें सर्पों के बीच रहना है,उनकी फुफकार और दंश दोनों सहना है, जरूरी है तुम्हारा ज्यादा जहरीला बनना और काटने वाले पर कम से कम सौ गुना भारी पड़ना !” कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री भरत द्विवेदी ने अपनी सुमधुर कविताओं का पाठ किया - “ऐसा हुआ कि भरत को कुछ खास मिल गया..महलों के बीच पर्ण का आवास मिल गया पर पादुकाएं राज को संभालती रही। हम क्यों कहे की राम को वनवास मिल गया।”साथ ही उन्होंने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि देश ही नहीं विदेशों में भी हिंदी समृद्ध हो रही है भारतीय मूल के लोग हिंदी के उत्थान के लिए सजग और समर्पित है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. चंद्रशेखर ने कहा कि इस महाविद्यालय की बगिया के फूल अन्य कवियों के काव्य पुष्प लेकर सामने आए। आज सच्चे अर्थों में मां सरस्वती का ज्ञान यज्ञ था। उन्होंने अपनी गजलों से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया - “कि बात कुछ भी नहीं ..और बुरे हो गए, सुर सारे के सारे बेसुरे हो गए।”कार्यक्रम के संयोजक हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अभिनेष सुराना ने कहा कि किसी भी साहित्य की रचना में पीढ़ियों का अंतराल होता है प्रतिभागी के रूप में इस कवि सम्मेलन में विद्यार्थी प्राध्यापक एवं कवि थे लेकिन कार्यक्रम में पीढ़ियों का अंतराल कहीं भी नहीं दिखा। इस प्रकार के कवि सम्मेलन जैसी साहित्यिक गोष्ठियां हमारे समाज और विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी एवं प्रेरणादायी होती हैं ।ऐसे आयोजनों से साहित्य के प्रति रुचि बढ़ती है और कवियों के विचार सीधे जनमानस तक पहुंचते हैं।
प्रतियोगिताओं में प्रतिभागियों नेबहुत ही उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। स्व रचित काव्य पाठ में प्रथम स्थान श्री तिलक वर्मा,द्वितीय स्थान डॉ. अनुपमा कश्यप, तृतीय स्थान दावेंद्र साहू रहे। काव्य पाठ प्राध्यापक वर्ग में प्रथम डॉ .ज्योति धारकर,द्वितीय श्री जयेंद्र श्रीवास ,तृतीय डॉ. के.पद्मावती को प्राप्त हुआ है।
काव्य पाठ विद्यार्थी वर्ग में प्रथम विनिता,द्वितीय रोशनी द्विवेदी,तृतीय इमन रही।प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम मोना सतनामी , द्वितीय संजय यादव को मिला। उक्त कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, अतिथि प्राध्यापक,शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में स्नातक, स्नातकोत्तर के विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम के सहसंयोजक डॉ.अम्बरीष त्रिपाठी, दीपांशु नेताम एवं रश्मि साहू ने किया एवं आभार व्यक्त राजभाषा अधिकारी श्रीमती सुदीपा ने किया।