शिक्षा व दर्शन: रविंद्रनाथ टैगोर के शिक्षा संबंधी विचारों की समकालीन प्रासंगिकता

Dr. Vijay Kr. Verma

शिक्षा व दर्शनः रविंद्रनाथ टैगोर के शिक्षा संबंधी विचारों की समकालीन प्रासंगिकता
     शैक्षिक दर्शन शिक्षा की एक व्यापक प्रणाली निमित्त करने में मदद करती है। समय के साथ शिक्षा पद्धति में विभिन्न परिवर्तन आए हैं। जहां एक ओर वर्तमान शिक्षा पद्धति नैतिक मूल्यों के संकट का सामना कर रही है, वहीं दूसरी ओर हम शैक्षिक संस्थान और उनके दैनिक कामकाज में शिक्षा द्वारा प्रस्तावित दार्शनिक आदर्शों के बीच के अंतराल को देख सकते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए हमें भारतीय राजनीतिक चिंतन के इतिहास में जाना होगा जहां विभिन्न विचारक जैसे महात्मा गांधी,  रविंद्रनाथ टैगोर, श्री अरबिंदो, स्वामी विवेकानंद और जवाहरलाल नेहरू इत्यादि के शैक्षणिक विचार जो वर्तमान समय में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह हम रविंद्रनाथ टैगोर के शैक्षिक विचारों की समकालीन प्रासंगिकता पर चर्चा करेंगे।
कुंजी शब्दः- शिक्षा, दर्शन, स्वतंत्रता, मानवतावाद, विभिन्नता, रचनात्मक शिक्षा व स्वर्णिम विकास।

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How to cite this article:
वर्मा वी . (2023) :स्वामी विवेकानन्द और विश्व-बंधुत्त्व: एक समकालीन विमर्श Research Expression 6:9 p. 81-87 DOI: Https://Doi.Org/10.61703/Re10