राजनीति विज्ञान में अस्तित्ववाद का नामसामान्यतः ज्यां पाल सार्त्र के साथ जुड़ा हुआ है । सार्त्र ने ही अस्तित्ववाद को एकराजनीतिक दर्शन का रूप दिया अन्यथा अस्तित्ववाद दर्शनशास्त्र की विषय वस्तु है और वहींइसकी विषद व्याख्या होती है । इसी कारण अस्तित्ववद के मूल दार्शनिकों हुसर्ल और मार्टिन हाईडेगर जिन्होने बीईंग की विषद व्याख्या की है, उनको दर्शनशास्त्र मेंपढ़ाया जाता है । राजनीतिविज्ञान में हाईडेगर की चर्चा केवल सार्त्र के अस्तित्ववाद को समझने के संदर्भ मेंकी जाती है वस्तुतः अस्तित्ववाद एक जटिल दर्शन है जिसको समझने के लिए अस्तित्व की दार्शनिकव्याख्या आवश्यक है राजनीति विज्ञान में अस्तित्व के राजनीतिक पक्षो पर ही जोर दियाजाता है जिसके कारण अस्तित्व की मूल व्याख्या नहीं हो पाती जिसके कारण अस्तित्ववादको समझना दुष्कर हो जाता है । इसीलिए हाईडेगर के चिंतन की राजनीति विज्ञान में उपयोगितास्थापित होती है प्रस्तुत शोधपत्र में हाईडेगर को एक राजनीतिक दार्शनिक के रूप मेंविश्लेषित करने का प्रयास किया गया है जिसके लिए उसके अस्तित्ववाद, बिईंग और दासेन की व्याख्या की गई है ।
प्रमुख शब्दावली : बीईंग, दासेन, फैक्टिसिटी,फालिंगनेस, गाड, जनरल,टाइम,, वर्ल्ड ।