सूफी साधना पथ का अध्ययन

डॉ. हरनाम सिंह अलरेजा

भारत में 12वी से 16 वी शताब्दी सूफी विचारधारा के स्थापित और स्वीकृत होने का काल है। आध्यात्मिक चिंतन का सर्वाधिक नूरी और पाक व सुनहरा अध्याय ये सूफी सिलसिलें है। ये सूफी हर प्रकार की हदों को तोड़कर एक अविश्वसनीय जीवन जीते है। इन सूफियों की दुनिया ही निराली है। इन्हें किसी भी दूनियावी वस्तु, शान औशौकत का कोई भी लालच या लोभ नहीं है। अपने मुर्शिद के प्रति समर्पित इन सूफियों को जर्रे जर्रे में परमात्मा की झलक दिखलाई पड़ती है। भारतीय जनमानस इन सूफियों और इनकी दरगाहों से प्रेम करता है। सूफी विचारधारा या मत में साधनाएं अत्यन्त कठोर है इनमें बाल बराबर दुर्गण या चालाकी को स्वीकार नहीं किया जाता है। मुर्शिद ऐसे शिष्यों से जो दिल से पाक नहीं हो पाते,बेबाक कहते है कि जा तुझे आध्यात्मिकता स्वीकार नहीं करती है। वास्तव में सूफी व्यक्तित्व क्या है? सूफी साधना पद्धति क्या है? इसी की खोज और व्याख्या प्रस्तुत शोध पत्र का प्रतिपाघ विषय है।

 

कुंजी शब्द  -  सूफी व्यक्तित्व, शरीयत, तरीकत मारिफत हकीकत, फना, बका, सातघाटिया


66-73 | 319 Views | 346 Downloads
How to cite this article:
अलरेजा एच . (2024) : सूफी साधना पथ का अध्ययन Research Expression 7:10, p. 66-73 DOI: https://doi.org/10.61703/RE-ps-Vyt-710-24-7