भौतिक शास्त्र विभाग में त्रिदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ विज्ञान एवं टेक्नोलाॅजी के सहयोग से देष का सकारात्मक विकास संभव विज्ञान सोचने का तरी

 
भौतिक शास्त्र विभाग में त्रिदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ 
विज्ञान एवं टेक्नोलाॅजी के सहयोग से देष का सकारात्मक विकास संभव 
विज्ञान सोचने का तरीका है, इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें 

शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग एवं ल्यूमिनिसेंस सोसायटी आॅफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में 3 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन सरस्वती वंदना, राज्य गीत एवं द्वीप प्रज्जवलन के साथ प्रारंभ हुआ। सभी माननीय अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ द्वारा किया गया। राष्ट्रीय सम्मेलन में विषिष्ट अतिथि डाॅ. एच.के. पाठक, कुलपति, भारती विष्वविद्यालय, दुर्ग ने अपने उद्बोधन में भौतिकी से संबंधित आविष्कारों, ट्रांजिस्टर एवं एलईडी के बारे में बताते हुए कहा कि हम गुणवत्ता परक शोध के क्षेत्र में अभी भी बहुत पीछे है और हमें अपने शोध को गुणवत्तापरक बनाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। जिससे हम अपनी पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बना सके, उन्होंने कहा शोध आम आदमी के स्तर को ऊपर उठाने के लिए होना चाहिए। विज्ञान एवं टेक्नोलाॅजी दोनांे के सहयोग से ही देष का सकारात्मक विकास संभव हो सकता है। इससे पूर्व संयोजक डाॅ. जगजीत कौर सलूजा ने त्रिदिवसीय सम्मेलन की रूपरेखा को बताया किस प्रकार से यह शोध विद्यार्थियों एवं अनुसंधानों से जुड़े प्राध्यापकों के लिए उपयोगी सिध्द होगा। उन्होंने सम्मेलन में सम्मिलित सभी प्राध्यापकों, वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों को इससे होने वाले अधिक से अधिक नवीनतम जानकारी प्राप्त करने का माध्यम बताया। एलएसआई के सचिव डाॅ. डी.पी. बिसेन, पंडित रविषंकर शुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि भौतिकी को हमें अपने जीवन में शामिल करना होगा, जिससे नये-नये विचारों को दैनिक उपयोग में अपनाया जा सकता है। एलएसआई अध्यक्ष डाॅ. के.वी.आर. मूर्ति ने इस सोसायटी के माध्यम से ल्यूमिनिसेेंस में शोध कार्य करने हेतु विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि सभी युवा वैज्ञानिकों को अपने शोध कार्य प्रस्तुतिकरण हेतु यह सम्मेलन प्रत्येक वर्ष कराया जाता है, जिससे वे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों से मिल सके एवं उनसे नवीनतम जानकारी प्राप्त कर शोध को पूूर्ण कर सके। प्राचार्य डाॅ. आर.एन. सिंह ने सभी माननीय अतिथियों का स्वागत करते हुए जानकारी दी कि हमारा महाविद्यालय छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र ए प्लस ग्रेड का महाविद्यालय है तथा इस महाविद्यालय में शोध का उच्च स्तरीय कार्य किया जाता है, उन्होंने महाविद्यालय की सभी उपलब्धियों को अतिथियों के सामने रेखांकित किया एवं सभी सम्मिलित विद्यार्थियों से कहा कि वे सभी इस सम्मेलन का अधिक से अधिक लाभ उठाये, जिससे उनका उद्देष्य सफल हो। सभी सम्मानीय अतिथियों द्वारा सम्मेलन की बुकलेट का विमोचन किया गया। इस अवसर पर एल.एसआई द्वारा डाॅ. जगजीत कौर सलूजा, डाॅ. नमिता ब्रम्हे एवं डाॅ. डी.पी. बिसेन को फेलो ल्यूमिनिसेंस सोसायटी आॅफ इंडिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ. नेहा तिवारी, डाॅ. ख्याजा मोहद्दीन एवं नमन ठ्क्कर एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. विकास दुबे द्वारा किया गया। 
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में आरटीएम युनिवर्सिटी, नागपुर से आये डाॅ. एस.जे. धोबले ने एलईडी फाॅर प्लांट कल्टीवेषन विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। इससे पूर्व सम्मेलन में विष्व मेें दो प्रतिषत वैज्ञानिकों की लिस्ट में शामिल डाॅ. एस.जे. धोबले को सम्मानित किया गया। डाॅ. धोबले ने पौधे के वृध्दि के लिए ग्रीन हाऊस की उपयोगिता के बारे में बताया उन्होने प्लांट कल्टीवेषन के लिए उपयोगी  फाॅस्फर मटेरियल के बारे में जानकारी दी कि किस प्रकार से पौधे कीे वृध्दि के लिए प्रकाषीय विकिरण उपयोगी है। उन्हांेने बताया कि पीला एवं लाल प्रकाष प्रकाष संष्लेषण एवं पौधे के वृध्दि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः सफेद एलईडी को हम स्त्रोत की तरह उपयोग कर सकते है, जिससे पत्तियांे, तनों एवं फूलों के विकास अच्छे तरीके से होता है। 
आॅनलाईन माध्यम से एनआईटी वारंगल से जुड़े डाॅ. हरनाथ ने फास्फर मटेरियल को बारकोड एवं क्यूआर कोड में उपयोग कर धोखाघड़ी से बचने के लिए प्रयोग की जानकारी दी। उन्होंने जानकारी दी कि 1974 में पहली बार बारकोड का उपयोग च्वाइंगम में किया गया था। बारकोड में केवल अल्फा न्यूमेरिक कैरेक्टर उपयोग किए जाते है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से हम फ्र्री में अपनी समस्त जानकारी बारकोड माध्यम से दे सकते है। पंडित रविषंकर शुक्ल युनिवर्सिटी, रायपुर से डाॅ. नमिता ब्रम्हे ने अपने व्याख्यान में ल्यूमिनिसेंस से संबंधित जानकारी प्रदान की जो शोध छात्रों के लिए आने वाले समय में उपयोगी सिध्द होगी। उन्होंने ल्यूमिसेंस को बड़ी सरलता पूर्वक उदाहरणों द्वारा समझाया। 
तृतीय सत्र में घेंट विष्वविद्यालय, बेल्जियम से डाॅ. डर्क पाॅलमैन ने गैलोलियम वैडेट डोप्दविथ एनडी का बायो सेफटी एवं बायो इमेजिंग पर रोचक व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि एमआरई के स्थान पर यूसीएल (अप कन्वर्जन ल्यूमिनिसंेस) उपयोग में लाया जाता है। इससे प्राकृतिक इमेज प्राप्त होती है, जिसका उपयोग कैंसर के बारे में होता है। आईजीसीएआर कलपंकम से डाॅ. आर.के. पाधी ने यूरोपियम एवं यूरेनियम के व्यवहार पर विस्तृत चर्चा की एवं इनका उपयोग डिस्पले में किस प्रकार से होता है इसके बारे में जानकारी दी। बार्क मुबंई से डाॅ. मुनीष कुमार ने रेडिऐषन डोजीमैट्री पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। दरभंगा से डाॅ. पूजा कुमारी ने वैडेट फाॅस्फर का डिस्पले में उपयोगिता के बारे में बताया। इस सम्मेलन में आरटीएम विष्वविद्यालय, नागपुर, बीआईटी, दुर्ग, रविषंकर शुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर, बार्क मुंबई चेन्नई एवं केरला से सम्मिलित शोध छात्रों द्वारा हायब्रिड मोड में अपना प्रस्तुतिकरण दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में भौतिकी विभाग के समस्त प्राध्यापक, अतिथि प्राध्यापक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को योगदान रहा। शोध छात्र नीरज वर्मा एवं तीरथ सिन्हा का विषेष योगदान रहा। सम्मेलन की सचिव डाॅ. अनिता शुक्ला एवं डाॅ. अभिषेक मिश्रा ने संयुक्त रूप से जानकारी दी कि इस सम्मेलन की दूसरे दिन डाॅ. के.वी. मूर्ति, डाॅ. सुभ्रता दास, डाॅ. एल गिरि बाबू , डाॅ. एन.कुमार स्वामी, डाॅ. के. सुरेष, डाॅ. मार्ता, डाॅ. अंकुष विज, डाॅ. जेलेना मैट्रिक एवं डाॅ. धीरेन्द्र क्षत्रिय के व्याख्यान के साथ शोध विद्यार्थियों का प्रस्तुतिकरण होगा।