साईंस कॉलेज दुर्ग में श्एनर्जी चेंज, एनर्जी स्वराज और मैंश् विषय पर आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर डॉ. चेतन सिंह सोलंकी का व्याख्यान आयोजित

 
साईंस कॉलेज दुर्ग में श्एनर्जी चेंज, एनर्जी स्वराज और मैंश् विषय पर आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर डॉ. चेतन सिंह सोलंकी का व्याख्यान आयोजित
शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में श्एनर्जी चेंज, एनर्जी स्वराज और मैंश् विषय पर आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर डॉ. चेतन सिंह सोलंकी का व्याख्यान आयोजित किया गया। डॉ. सोलंकी संपूर्ण विषयों में श्सोलर मैनश् के नाम से विख्यात है। उन्होंने संपूर्ण पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने के लिए सोलर उर्जा के उपयोग को बढ़ाने हेतु एनर्जी स्वराज मिषन की स्थापना की है। 
कार्यक्रम का शुभांरभ मां सरस्वती वंदना एवं अतिथियों के स्वागत के साथ हुआ। इसके पश्चात्   महाविद्यालय के भौतिक शास्त्र विभाग कीे विभागाध्यक्ष डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने स्वागत भाषण दिया। तत्पश्चात् महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान में उर्जा के अनियमित दोहन से हमारी पृथ्वी के तापमान में लगातार वृध्दि हो रही है। उर्जा संबंधी समस्याओं से निपटने तथा सोलर उर्जा की ओर कदम बढ़ाने में डॉ. सोलंकी की महाविद्यालय में उपस्थिति अत्यंत लाभदायक सिध्द होगी। 
हेमचंद यादव विष्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है जब डॉ. सोलंकी जैसे उर्जा के प्रति समर्पित व्यक्ति हमारे बीच उपस्थित है। उन्होंने बताया कि डॉ. सोलंकी खण्डवा, मध्य प्रदेष में स्थापित किए जा रहे फ्लोटिंग सोलर पैनल जैसी नवीन टेक्नालॉजी के ब्रांड अम्बेडसेडर है और सतत् रूप से ग्रीन एनर्जी या इकोफ्रेण्डली सोलर एनर्जी की ओर बढ़ रहे है। इसके पश्चात् डॉ. अनुपमा अस्थाना ने मुख्य वक्ता डॉ. सोलंकी का परिचय देते हुए बताया कि डॉ. सोलंकी लगातार ग्रीन एनर्जी तथा इकोफ्रेण्डली सोलर एनर्जी को प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाने के लिए प्रयत्नरत् है। 
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. चेतन सिंह सोलंकी ने अपने उर्जावान, उत्साहवर्धन एवं मनोरंजक भाषण में बताया कि जबसे मनृष्य ने उर्जा का उपयोग करना सीखा है तभी से पृथ्वी पर पर्यावरण संबंधित गड़बड़िया उत्पन्न हुई है। लगातार उर्जा के उपयोग के साथ निकलने वाली कार्बन डाय आक्साइड वातावरण के लिए खतरनाक है, जिसके कारण तापमान में वृध्दि होते जा रही है। अभी पृथ्वी का तापमान पूर्व की तुलना में 1.1.9 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। यदि यह तापमान 2 डिग्री से उपर बढ़ जाये पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों को सुधार नही पायेंगे। यदि हमें इसे रोकना है तो बिजली के उपयोग को कम करना होगा और यही वातावरण में परिवर्तन लायेगा। और इसके लिए समस्त मानव जाति को अनवरत काम करना होगा। इसके लिए हर व्यक्ति को कम से कम उर्जा का उपयोग करना होगा तथा सौर उर्जा के समुचित उपयोग से ही वातावरण को सुधारा जा सकता है। इसके लिए कुछ नियमों को अपने दैनिक जीवन में लगातार लागू करना आवष्यक है, जिसमें प्रमुख रूप से इलेक्ट्रीसिटी का उपयोग बंद करना, कम करना एवं उत्पन्न करना (।डळ त्र ।अवपकए डपदपउप्रमए ळमदमतंजमद्ध। डॉ. सोलंकी ने बहुत ही सरल शब्दों में विद्यार्थियों को उर्जा से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण की भयावता को समझाया। डॉ. सोलंकी ने लोगों को जागरूक करने के लिए एनर्जी स्वराज मिषन, एनर्जी लिटरेसी प्रोग्राम, एनर्जी स्वराज क्लब के गठन के द्वारा उर्जा संरक्षण एवं मीडिया के द्वारा जुड़कर इसका अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करके इस मिषन को सफल करने की दिषा सत्त रूप से कार्यरत् है। 
कार्यक्रम के बड़ी संख्या में महाविद्यालय के विद्यार्थी एवं सभी प्राध्यापक गण अन्य महाविद्यालयों के प्राध्यापकगण तथा कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने सभी धन्यवाद ज्ञापन किया।